गंभीर मामलों को नई जिंदगी दे रहा जिला महिला अस्पताल

महिला अस्पताल में एक माह में सुरक्षित तरीके से कराए गए 99 जटिल प्रसव

हमीरपुर। केस 1- शहर के भिलावां की अनु देवी (28 वर्ष) को प्रसव पीड़ा उठने पर 16 जून को जिला महिला अस्पताल लाया गया। जांच में गर्भस्थ शिशु की दिल की धड़कन 10 प्रति मिनट निकली। जबकि सामान्य धड़कन 120 से 160 प्रति मिनट के बीच होती है।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.आशा सचान ने बताया कि बच्चे के बचने की उम्मीद बहुत कम थी। जच्चा-बच्चा दोनों बचाना एक चुनौती थी। हमने सामान्य प्रसव कराने की तैयारी की।

टीम के अथक प्रयास से अनु ने शिशु (4.5 किग्रा) को जन्म दिया। केस 2- कुरारा निवासी तृप्ति (23) का 16 जून को जिला महिला अस्पताल में सुरक्षित तरीके से सामान्य प्रसव कराया। जबकि नवजात ने पेट में लैट्रिन कर दी थी।

उसके दिल की धड़कन भी प्रति मिनट मात्र 20 थी। सीएमएस डॉ.फौजिया अंजुम नोमानी, स्टाफ नर्स राधा की टीम के काफी कोशिश से तृप्ति ने दिन में 2.8 किग्रा वजन के नवजात को जन्म दिया।

अनु और तृप्ति दोनों ही अतिगंभीर मामले होने के बावजूद इनका सामान्य प्रसव हुआ। यह दो मामले तो सिर्फ बानगी भर हैं। असल में ऐसे अनेक मामले जिला महिला अस्पताल में प्रतिदिन किये जा रहे हैं, जो निजी अस्पतालों या फिर लापरवाही में अतिगंभीर हो जा रहे हैं।

सीएमएस डा. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि 21 मई से 20 जून के बीच 99 गंभीर गर्भावस्था से गुजरने वाली महिलाओं के सुरक्षित तरीके से प्रसव कराए गए।

जिला क्वालिटी इम्प्रूवमेंट मेंटर आकांक्षा यादव ने बताया कि एक अप्रैल से 20 जून तक मुस्करा सीएचसी में 18, सुमेरपुर में 16, मौदहा में 37, गोहांड पीएचसी में 5 गंभीर गर्भावस्था (एचआरपी) से गुजरने वाली महिलाओं का सुरक्षित तरीके से प्रसव कराया गया।

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