ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने चीन को बताया ‘सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता’

दिल्लीः ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन ‘सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता’ है, क्योंकि वह दुनिया को ऐसा आकार देने की कोशिश कर रहा है, जैसा कि पहले कभी नहीं देखा गया है। चार दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली आए मार्लेस ने यह भी कहा कि भारत की भी समान सुरक्षा चिंताएं हैं और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर ऑस्ट्रेलिया नयी दिल्ली के साथ एकजुटता से खड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान चीन और रूस के बीच बढ़ते रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग पर चिंता जताई और कहा कि इसका क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन ‘सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता’ है, क्योंकि वह दुनिया को ऐसा आकार देने की कोशिश कर रहा है, जैसा कि पहले कभी नहीं देखा गया है। चार दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली आए मार्लेस ने यह भी कहा कि भारत की भी समान सुरक्षा चिंताएं हैं और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर ऑस्ट्रेलिया नयी दिल्ली के साथ एकजुटता से खड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान चीन और रूस के बीच बढ़ते रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग पर चिंता जताई और कहा कि इसका क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में हमने खासतौर पर इस संबंध में चीन के अधिक आक्रामक व्यवहार को महसूस किया है।’’ मार्लेस ने कहा, ‘‘यह वास्तव में जरूरी है कि हम ऐसी दुनिया में रहें, जहां कानून आधारित व्यवस्था हो, जहां देशों के बीच विवादों का निर्धारित नियमों के तहत शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा हो।’’ चीन और रूस के बीच बढ़ते रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग का जिक्र करते हुए उन्होंने इसके प्रभावों को लेकर अशांकाएं जताईं और कहा कि दुनिया में शांति बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। यूक्रेन संकट को लेकर ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यूक्रेन के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और इसका वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर प्रभाव पड़ रहा है, जो वास्तव में चिंता का विषय है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की सदस्यता वाले ‘क्वाड’ समूह के बारे में उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा गठजोड़ नहीं है, क्योंकि इसके रक्षा से जुड़े आयाम नहीं हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका की सदस्यता वाले ‘ऑकस’ समूह के बारे में मार्लेस ने कहा कि यह सुरक्षा गठजोड़ नहीं है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देना है।

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