कुमाऊं केनॉर्थ ज़ोन के जंगलो में आग लगने से करीब 50 लाख रुपये की वन सम्पदा हुई ख़ाक

दिल्लीः

कुमाऊं के उत्तरी ज़ोन में इस बार जंगलों के धधकने के सभी रिकॉर्ड टूट गए. बीते 5 सालों में यहां इतनी आग कभी नहीं लगी, जितनी इस साल के फायर सीज़न में. ज़ोन के चार ज़िलों में जारी फायर सीज़न में अब तक 839 घटनाओं में 1481 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है. आग लगने की घटनाओं को तुलनात्मक ढंग से देखें तो आप चौंक सकते हैं. सिर्फ बागेश्वर में ही कोरोना संक्रमण के पूरे साल में जंगल में आग लगने की जहां सिर्फ 4 घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल 166 घटनाएं हुईं.

अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर ज़िलों का नॉर्थ ज़ोन इस बार जमकर धधका. कुमाऊं के नॉर्थ ज़ोन में इस बार मार्च से ही पहाड़ों में आग लगने की घटनाओं में भारी इज़ाफा हुआ. इस ज़ोन में 60 फीसदी से अधिक चीड़ के पेड़ हैं और चीड़ के पिरूल को फॉरेस्ट फायर की सबसे बड़ी वजह माना जाता है. ज़ोन के वन संरक्षक कुबेर सिंह बिष्ट की मानें तो इस साल पहाड़ों में गर्मी ज्यादा और बारिश कम होने से फॉरेस्ट फॉयर की घटनाओं में इज़ाफा हुआ.

2018 में 525 घटनाएं — 1155 हेक्टेयर जंगल खाक
2019 में 716 घटनाएं — 1413 हेक्टेयर जंगल जला
2020 में 52 घटनाएं — 77 हेक्टेयर जंगल में आग
2021 में 887 घटनाएं — 1392 हेक्टेयर जंगल खाक
2022 में 839 घटनाएं — 1481 हेक्टेयर जंगल राख

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