मात्र तीर्थ के लिए ही नहीं,घूमने के लिहाज से भी बेस्ट है वाराणसी

दिल्लीः गर्मियां आते ही लोग कहीं−न−कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाने लगते हैं। ऐसे में छात्र लोग हिल स्टेशन तथा युवा वर्ग किसी खूबसूरत और एंकातमय स्थान पर जाने की योजना बनाते हैं तो वहीं बड़े−बुजुर्ग तीर्थस्थलों पर जाने की योजना बनाते हैं। यह तीर्थस्थल उनके लिए श्रद्धाभाव का प्रतीक तो होते ही हैं साथ ही यहां आकर मन के साथ ही आत्मा भी पवित्र हो जाती है।

देश भर में कई तीर्थस्थल हैं जहां कि आप पूजा अर्चना के साथ ही सैर−सपाटे का भी आनंद ले सकते हैं। ऐसा ही एक स्थल है हजारों शताब्दियों से भी ज्यादा समय से हिन्दूओं के मानस पर प्रभाव रखने वाला तथा उनकी आस्थाओं का प्रमुख केन्द्र वाराणसी। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर हिन्दू धर्म के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह समस्त तीर्थ स्थलों के सभी सद्गुणों और महत्व का संयोजन है और इस स्थान पर मृत्यु को प्राप्त होने पर तत्काल मोक्ष मिलता है।

विश्व के प्राचीनतम शहरों में से एक इस शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है। भारत में जो बारह ज्योर्तिलिंग हैं उनमें से एक तो इसी शहर में ही है। कहते हैं कि इस स्थान की रचना स्वयं शिव और पार्वती ने की थी। प्रत्येक सैलानी को आकर्षित करने के लिए इस शहर में अनेक खूबियां हैं। सुबह के आरंभ में ही सूर्य की किरणें चमचमाती हुई गंगा के पार चली जाती हैं। नदी के किनारे पर स्थित ऊंचे−ऊंचे घाट, पूजा स्थल, मंदिर आदि सभी सूर्य की किरणों से सुनहरे रंग में नहाए हुए लगते हैं। सुबह−सुबह ही आपको यहां अंर्तमन को भावविभोर कर देने वाले भजन और मंत्रोच्चार सुनाई देने के साथ ही पूजा सामग्री की खुशबू से आंकठ हवा और पवित्र नदी गंगा में स्नान करते श्रद्धालुओं की छपाक−छपाक की आवाज सुनाई देगी।

संगीत, कला, शिक्षा और रेशमी वस्त्रों की बुनाई में इस शहर का खासा योगदान रहा है इसीलिए इस शहर को एक महान सांस्कृतिक केन्द्र भी कहा जाता है। रामचरितमानस की रचना भी तुलसीदास जी ने यही की थी। राष्ट्रभाषा हिन्दी के विकास में भी इस शहर का अमूल्य योगदान रहा है। आइए एक नजर डालते हैं इस शहर की सांस्कृतिक विरासत और दर्शनीय स्थलों पर−

अन्नपूर्णा मंदिर

देवी अन्नपूर्णा के इस मंदिर का निर्माण पेशवा बाजीराव ने 1725 में करवाया था। यह मंदिर भी अपनी कलाकृति व नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

काशी विश्वनाथ मंदिर

भगवान शिव के लिए बने इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि वाराणसी वही स्थान है जहां कि पहला ज्योतिर्लिंग पृथ्वी को तोड़ कर निकला था तथा स्वर्ग की ओर रुख करके क्रोध में भभका था

घाट

गंगा के किनारे पर चार किलोमीटर लंबा घाटों का यह क्रम वाराणसी का प्रमुख आकर्षण माना जाता है। जब सूर्य की पहली किरण नदी व घाटों को चीरती हुई आगे बढ़ती है तो यह दुलर्भ नजारा देखते ही बनता है। 

दुर्गा मंदिर

दुर्गा जी के इस मंदिर का निर्माण वास्तुशिल्प की नागर शैली में हुआ है और इस मंदिर के शिखर कई छोटे शिखरों से मिलते हैं। मंदिर के आधार में पांच शिखर हैं और शिखरों की एक के ऊपर दूसरी तहें लगते जाने के बाद आप देखेंगे कि अंत में सबसे ऊपर एक ही शिखर रह जाएगा तो इस बात का प्रतीक है कि पांच तत्वों से बना यह संसार अंत में एक ही तत्व यानि ब्रह्म में मिल जाता है। 

काल भैरव और संकट मोचन मंदिर

मान्यता है कि काशी की यात्रा तभी पूरी और सफल मानी जाती है जब आप काल भैरव के दर्शन और पूजन करते हैं।

भारत माता मंदिर

इसे आप एक्सक्लूसिव मंदिर भी कह सकते हैं क्योंकि यह एक नये तरह का मंदिर है जहां पंरपरागत देवी−देवताओं की मूर्तियों के स्थान पर भारत का नक्शा है, जिसको कि संगमरमर पत्थर में तराशा गया है।

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