बदलाव की चहचहाहट

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने खरीद लिया है। ऐसा लगता है कि अरबपतियों का मीडिया कंपनियों को खरीदने और संचालित करने का यह दौर है। कुछ वर्ष पहले वाशिंगटन पोस्ट को अमेजॉन डॉट कॉम के जरिये अरबपति बनने वाले जेफ बेजोस ने खरीद लिया था।

अलीबाबा के संस्थापक जैक मा भी साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट  के मालिक हैं। मशहूर टाइम मैगजीन सेल्सफोर्स के सह-संस्थापक मार्क बेनीऑफ के हवाले है। एलन मस्क ट्विटर इंक को खरीदकर अब इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं।दरअसल, कोई भी कंपनी जब शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो जाती है, तब एक तरह से अपने संस्थापक के हाथों से निकल जाती है।

जिस जैक डॉरसी के सिर ट्विटर को शुरू करने का सेहरा बंधा है, वह खुद आज इस कंपनी से बाहर हैं। कारोबार के लिहाज से भी पिछले कुछ वर्षों में ट्विटर इंक काफी बदल चुकी है। बोर्ड भी निवेशकों के हितों को तरजीह देता है। इसलिए किसी बड़े निवेशक के प्रस्ताव को वह नकार नहीं पाता और आमतौर पर कंपनी बेच दी जाती है। ट्िवटर के साथ काफी हद तक यही हुआ है।


अब जब ट्िवटर को नया मालिक मिल चुका है, तब कयास यही लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में इसमें ढेर सारे बदलाव होंगे। इसकी एक बड़ी वजह खुद एलन मस्क हैं, जो काफी समय से ट्िवटर की नीतियों की मुखालफत करते रहे हैं। वह मानते हैं कि ट्विटर बहुत ही महत्वपूर्ण मंच है और देश-दुनिया को इसकी जरूरत है, लेकिन वह इसे सबके हाथों में पहुंचाना चाहते हैं। समाज और अर्थव्यवस्था के लिहाज से ट्विटर पर हर तरह के संवाद के वह पक्षधर हैं।


एलन मस्क ट्िवटर पर किसी को प्रतिबंधित करने के भी खिलाफ हैं। वह ट्िवटर की नीतियों को संकुचित मानते हैं और कहते रहे हैं कि यह मंच उपलब्धियों के जिस मुकाम को छू सकता है, उससे काफी पीछे है। वह इसकी एक बड़ी वजह ट्िवटर द्वारा लोगों पर लगाई जाने वाली पाबंदियों को मानते हैं।

वाकई, पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसने अपने मंच से बेदखल कर दिया था। खुद को सुपरपावर कहने वाले अमेरिका के पदासीन राष्ट्रपति को इस तरह से प्रतिबंधित करने का यह मीडिया इतिहास का पहला उदाहरण था। एलन मस्क न सिर्फ ऐसे कृत्यों के विरोधी हैं, बल्कि ‘फ्री स्पीच’ यानी अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकार भी हैं। उनका मानना है कि ट्िवटर संवाद का मंच बने, न कि लोगों को निर्देशित करने का।


इन सबको देखते हुए ही यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ट्िवटर सही और गलत से परे, सबको अपनी बात कहने का मंच मुहैया कराएगा। मुमकिन है कि इसके बाद संबंधित देशों (जहां उसका उपयोग हो रहा होगा) के कानून इस पर कहीं अधिक मजबूती से आयद होंगे।

ट्विटर की नाफरमानी का ही नतीजा था कि नाइजीरिया जैसे देश ने इसे अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया था और कुछ महीनों के लिए ‘कू’ को अपना लिया था। भारत में भी कू जैसे विकल्प आने के बाद ट्िवटर के प्रति लोगों की रुचि कुछ कम  होती दिखी है।


अगर फेसबुक, वाट्सएप, यू-ट्यूब जैसे मंचों से तुलना करें, तो सबसे कम उपयोगकर्ता ट्िवटर के ही हैं, लेकिन इसका प्रभाव बाकी सबसे काफी ज्यादा है। यही वजह है कि भारत भी इन कंपनियों को देश में रहकर काम करने को कहता रहा है। विवाद के निपटारे के लिए चीफ कम्प्लाइंस ऑफिसर जैसे अधिकारियों की नियुक्ति करने पर वह हमेशा बल देता रहा है। मुमकिन है कि इस तरह की मांगें अब जल्द पूरी हो सकेंगी।


एलन मस्क ने कहा है कि रोबोट्स की मदद से चलाए जा रहे ट्िवटर के अकाउंट बंद किए जाएंगे। इस तरह के अकाउंट्स सॉफ्टवेयर की सहायता से चलाए जाते हैं, जो किसी हैशटैग को देखकर खुद-ब-खुद उसे री-ट्वीट कर देता है। यह फर्जी अकाउंट से अलग होता है। इसी तरह, छद्म नामों का इस्तेमाल करके भी कुछ लोग अपना मतलब सीधा कर रहे हैं।

एलन मस्क का मानना है कि जो व्यक्ति ट्िवटर पर आए, वह मनुष्य हो, कोई स्वचालित मशीन नहीं। इसीलिए, यह भी कयास है कि निकट भविष्य में ट्िवटर अकाउंट पर हमें केवाईसी (अपने ग्राहकों को जानो) कराने पड़ सकते हैं, जिसमें हम अपने राष्ट्रीय पहचान-पत्रों का इस्तेमाल करेंगे। अगर यह सब होता है, तो निस्संदेह ट्विटर उपयोगकर्ताओं की आपसी गाली-गलौज कम हो सकेगी, क्योंकि कोई नकाब ओढ़कर दूसरे से वाक्युद्ध नहीं कर सकेगा।


यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि कोई भी सोशल मीडिया मंच अब खुद को सुरक्षित न समझे। अगर कोई निवेशक किसी कंपनी में रुचि दिखाएगा, तो संभव है कि उसके मालिकान में हमें बदलाव देखने को मिल जाएं। ऐसी कवायदों से कंपनी की नीतियों में किस तरह के परिवर्तन होंगे, यह तो  नए मालिक की सोच पर निर्भर करेगा। लेकिन नए फेरबदल के बाद ट्विटर में यदि थोड़ी सफाई हो जाती है, तो यह सुखद होगा।

हालांकि, कुछ लोग इसे विरोधाभास भी मान सकते हैं कि एक तरफ तो एलन मस्क अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थक हैं, और दूसरी तरफ जांचने-परखने के बाद ही ट्िवटर उपयोगकर्ताओं को इस मंच के इस्तेमाल की अनुमति देने के हिमायती। लेकिन व्यापक अर्थों में  देखें, तो इससे ट्िवटर को भी फायदा होगा और आम उपयोगकर्ता कहीं संजीदगी से इस मंच पर अपने विचार साझा कर सकेंगे। 


संभव यह भी है कि आने वाले दिनों में हर उपयोगकर्ता को ट्विटर इस्तेमाल करने के लिए निश्चित राशि जमा करने को कहा जाए, क्योंकि एलन मस्क यह कहते रहे हैं कि ट्िवटर में अभी और पैसा बना सकने की क्षमता है। अगर ऐसा होता है, तब भी उपयोगकर्ता शायद ही इसका विरोध करना चाहेंगे, क्योंकि हम तब कहीं ज्यादा सार्थक बहस इस मंच पर देख सकेंगे। बहरहाल, अभी तमाम तरह की अटकलें फिजां में तैर रही हैं। देखना अब यह है कि आने वाले दिनों में ऊंट किस करवट बैठता है।

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