मंडल की 25 लाख महिलाओं की सेहत 12 महिला डाक्टरों के भरोसे

बांदा,संवाददाता। चित्रकूटधाम मंडल में आधी आबादी को सरकारी इलाज के लाले हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी से चारों जिले जूझ रहे हैं। इसी का खामियाजा हाल ही में चित्रकूट के सरकारी अस्पताल में प्रसूता ने जान गंवाकर भुगता। मंडल में 42 स्वीकृत पदों में सिर्फ 12 की तैनाती है।

इसमें भी आधी संविदा पर नियुक्त हैं। मंडल के चारों जिलों में महिलाओं की आबादी 25 लाख से ज्यादा है। ऐसे में एक डॉक्टर पर दो लाख से ज्यादा महिलाओं के इलाज की जिम्मेदारी है।

वीरांगना लक्ष्मीबाई के बुंदेलखंड में यूं तो महिलाओं का अनेक संघर्षों से सामना होता है, लेकिन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनके इलाज की पर्याप्त व्यवस्था न होने से अक्सर असमय मौत के मुंह में समाना पड़ रहा है। चित्रकूट के संयुक्त जिला अस्पताल में इसी माह प्रसूता रोशनी मिश्रा की मौत इसकी बानगी है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि मंडल में महिला डाक्टरों का जबरदस्त टोटा है। नारी सशक्तीकरण, बेटी बचाओ, मिशन शक्ति जैसी तमाम योजनाएं सिर्फ महिलाओं के लिए लागू हैं।

मंडल में मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल और सीएचसी व पीएचसी पर्याप्त संख्या में हैं। बस कमी है तो उनमें महिला डाक्टरों की। ताजा स्थिति के मुताबिक मंडल के चारों जिलों में मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीनस्थ नियमित महिला रोग विशेषज्ञ के 21 पद स्वीकृत हैं।

आठ संविदा पद स्वीकृत हैं, लेकिन तैनाती नियमित महिला चिकित्सकों में मात्र चार और संविदा पर एक डाक्टर की है। इसी तरह जिला अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों के अधीन महिला रोग विशेषज्ञों के 11 नियमित और दो संविदा पद स्वीकृत हैं।

यहां भी नियमित में सिर्फ सात महिला डॉक्टर कार्यरत हैं। संविदा पर कोई महिला चिकित्सक नहीं है। स्त्री रोग विशेषज्ञों समेत अन्य डाक्टरों की कमी के बारे में लगातार उच्चाधिकारियों और शासन को अवगत कराया जा रहा है। हर माह इनकी तैनाती और रिक्त पदों का ब्योरा भेजा जा रहा है।

उम्मीद है कि शासन से हो रहीं नियुक्तियों में जल्द ही मंडल को भी महिला डाक्टर मिलेंगी।-डॉ. नरेश सिंह तोमर, अपर निदेशक, स्वास्थ्य चिकित्सा एवं परिवार कल्याण, चित्रकूटधाम मंडल।

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