खादी को जल्द ही फैशन के क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नए कलेवर में पेश करने की तैयारी में योगी सरकार

दिल्लीः यूपी की योगी सरकार स्वदेशी, स्वावलंबन, स्वाभिमान और स्वरोजगार का प्रतीक माने जाने वाली खादी को जल्द ही फैशन के क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाएगी। खूबियों एवं संभावनाओं से भरपूर खादी को नये कलेवर में पेश करने के लिए योगी सरकार ने कमर कस ली है। अब खादी सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित नहीं रहेगी। खादी के कपड़ों के जरिए जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएंगे। खादी के कपड़ों को आकर्षक लुक देकर इनकी खूबसूरती निखारने की तो इस काम में योगी सरकार देश के नामचीन फ़ैशन डिजाइनरों और इससे संबंधित (निफ्ट) संस्थाओं की मदद लेगी।

अपर मुख्य सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने बुधवार को बताया कि सूत की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए खादी उत्पादन केंद्रों की तकनीक को आधुनिक बनाया जाएगा। सरकार बड़े पैमाने पर सोलर चरखों का भी वितरण करेगी। जिनको ये चरखे दिए जाएंगे उनको इसे चलाने का प्रशक्षिण भी दिया जाएगा। कुल मिलाकर अगले पांच साल में विभाग ने 5000 सोलर चरखों के वितरण का लक्ष्य रखा है। इससे धागों की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही उत्पादन भी बढ़ जाएगा।

यूपी के अलग-अलग जिलों में खादी के 14 सरकारी केंद्र हैं। इन केंद्रों के पुराने लूम की जगह नए सोलर लूम लगाए जाएंगे। सरकार ने इस बाबत अगले पांच साल के लिए मुकम्मल कार्य योजना भी तैयार की है। पिछले दिनों अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ययोजना को देखा और जरूरी निर्देश भी दिए।

कार्ययोजना के मुताबिक़ पंडित दीनदयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के तहत अगले पांच वर्षों में 25 हजार कत्तीनों एवं बुनकरों को लाभान्वित किया जाएगा। उम्मीद है कि सरकार के इन प्रयासों से खादी की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ाने के लिए खादी को फैशन के अनुरूप बनाने, रेंज बढ़ाने के साथ सरकार मार्केटिंग पर भी जोर देगी। इस क्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा।

अपर मुख्य सचिव सहगल ने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग संभावनों का क्षेत्र है। इकोफ्रेंडली होने के साथ न्यूनतम संरचना, कम पूंजी और कम जोखिम में इससे जुड़े उद्योग को लगाया जा सकता है। पूंजी के अनुपात में स्थानीय स्तर परबयह सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। सूत बनाने का काम अधिकांश महिलाएं करती हैं। लिहाजा उनको स्वावलंबी बनाकर यह मिशन शक्ति में भी मददगार है।

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