बापू पर आपत्तिजनक टिप्पणी वाली धर्म संसद के पीछे कौन?

उसने कहा, 'हम धर्म संसद में बस इस बात पर चर्चा करने वाले थे कि धर्म का विस्तार कैसे किया जाए और जो खंड-खंड में सनातनधर्मी बंटे हुए हैं, उन्हें एकजुट कैसे किया जाए।'

छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित हुई धर्म संसद में कालीचरण महाराज के विवादित बयान को लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस जहां कालीचरण महाराज को भाजपा का करीबी बता रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि धर्म संसद का आयोजन कांग्रेस ने कराया था।

कार्यक्रम के आयोजन के पीछे कौन था, इसे लेकर लाइव हिंदुस्तान ने धर्म संसद के आयोजक श्री नीलकंठ सेवा संस्थान के संस्थापक नीलकंठ त्रिपाठी से बात की।  नीलकंठ त्रिपाठी ने कहा कि धर्म संसद कोई राजनीतिक मंच नहीं था, यह हमने सिर्फ सनातन धर्म के लिए किया था।

उसने कहा, ‘हम धर्म संसद में बस इस बात पर चर्चा करने वाले थे कि धर्म का विस्तार कैसे किया जाए और जो खंड-खंड में सनातनधर्मी बंटे हुए हैं, उन्हें एकजुट कैसे किया जाए।’ उसने कहा कि आज की युवा पीढ़ी हिंदू-हिंदू तो करती रहती है लेकिन उन्हें यह समझाना पड़ेगा कि हिंदू-हिंदू करने से हिंदू धर्म मजबूत नहीं होगा, इसके लिए हिंदू और सनातन को समझना पड़ेगा।

इसके लिए ही हमने धर्मगुरुओं को बुलाया था कि वे मंच से इन युवाओं को सनातन संबंधी दिशा निर्देश दें। आपको बता दें राजधानी रायपुर के रावणभाठा मैदान में रविवार शाम को दो दिवसीय धर्म संसद के अंतिम दिन कालीचरण महाराज ने अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपिता के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की थी।

जिसके बाद कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत पर पुलिस ने शहर के टिकरापारा थाने में कालीचरण महाराज के खिलाफ मामला दर्ज किया था। कालीचरण महाराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) (विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या द्वेष पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) तथा 294 (अश्लील कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

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