भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं मां विंध्यवासिनी

बांदा,संवाददाता। बुंदेलखंड के प्रमुख शक्ति पीठ खत्री पहाड़ की विंध्यवासिनी देवी मंदिर में शारदीय नवरात्र पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। मान्यता है कि मां विंध्यवासिनी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु घंटा, चूनर व छत्र आदि चढ़ाते है। देश के 51 सिद्धपीठ में विंध्यवासिनी देवी मंदिर भी है। द्वापर युग में मां योग माया विंध्यवासिनी के रूप में स्थापित हुई थी।

जनश्रुति के अनुसार कंस की बहन देवकी की विदाई के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। इसके बाद कंस ने बहन व बहनोई को कारागार में डलवा दिया था। कंस ने एक-एक करके देवकी के सात पुत्रों की हत्या कर दी।

आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ। श्रीकृष्ण के जन्म के समय बंदी रक्षक गहरी नींद में सो गए और जेल का फाटक खुल गया। वासुदेव पुत्र को बचाने के लिए श्रीकृष्ण को नंदीग्राम यशोदा के घर छोड़ आए और वहां पैदा हुई बेटी को लेकर कारागार में लौट आए।

बच्चे के जन्म की जानकारी मिलते ही कंस ने कारागार में पहुंचकर कंस कन्या को हवा में उछाला तो योग माया प्रगट हो गई। इसके बाद वहां से योग माया खत्री पहाड़ आई, लेकिन पहाड़ ने उनका भार सहने से मना कर दिया।

इस पर योग माया ने उन्हें कोढ़ी होने का श्राप दे दिया, जिससे पहाड़ श्वेत रंग का हो गया। पहाड़ के तमाम मिन्नतों के बाद योग माया एक दिन के लिए पहाड़ में और शेष दिनों के लिए विंध्यवासिनी के रूप में नीचे विराजमान हुई। यहां पर नवरात्र की अष्टमी के दिन नीचे के पट बंद रहते है।

ऊपर मां के दर्शन होते है। श्रद्धालु 551 सीढ़ी चढ़कर मां के दर्शन करने जाते है। यहां शारदीय व चैत्र नवरात्र पर मेला लगता है। यूपी एमपी सहित कई प्रदेशों से लोग मां विध्यवासिनी की आराधना करने पहुंचते हैं। मुंडल, कनछेदन आदि धार्मिक संस्कार भी होते है।

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