मंडल में 66 ब्लैक स्पाट पर मंडराती मौत

बांदा,संवाददाता। कुछ रास्ते हादसों का अड्डा बनकर मौत के लिए मशहूर हो जाते हैं। यहां आए दिन ऐसी भीषण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें राहगीरों को जान गवां देनी पड़ती है। ऐसे स्थानों को ब्लैक स्पाट (दुर्घटना बहुल्य क्षेत्र) के रूप में चिह्नित किया गया है।

चित्रकूटधाम मंडल में इनकी खासी तादाद है। यातायातध्सड़क एजेंसियों के मुताबिक मंडल में 66 ब्लैक स्पाट हैं। इनमें सबसे ज्यादा 41 बांदा में हैं। चित्रकूट में 13 और हमीरपुर में 12 बताए गए हैं।

महोबा में कहीं ब्लैक स्पाट चिह्नित नहीं किया गया है। वैसे तो हरेक सड़क और व्यस्त गलियों में दुर्घटनाएं होतीं हैं। हाईवे पर जानलेवा हादसे होते हैं, लेकिन जहां बड़ी दुर्घटनाएं हो और भविष्य में भी होने की संभावनाएं बनतीं हों उन्हें ब्लैक स्पाट घोषित कर वहां विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।

मसलन संकेत बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को आगाह किया जाता है। स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं। सड़क दुरुस्त और चैड़ी रखी जाती है।

मानक के मुताबिक ब्लैक स्पाट उन्हीं स्थानों को चिह्नित किया जाता है जहां 3 वर्ष में कम से कम 10 बड़ी दुर्घटनाएं हो और इनमें कम से कम 5 मौतें हों।जिले में कुल 41 ब्लॉक स्पाट स्थल हैं।

इनमें 31 पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर हैं। शहर में कालू कुआं, सेंट मेरीज स्कूल, कालू कुआं ओवर ब्रिज, पनगरा, पल्हरी मोड़, पड़मई, मवई चैराहा, करतल, गुढ़ा मंदिर, तिंदवारा, मुरवल, कैरी रोड, बिसंडा कस्बा, महाकालेश्वर, सिकहुला पुलिया, जसपुरा, सिंहपुर मोड़, देहात कोतवाली, नरैनी, चिल्ला, बदौसा आदि। संबंधित विभागों का दावा है कि इन स्थानों पर एहतियाती कार्य (शार्ट टर्म) कराए जा चुके हैं। ब्लैक स्पाट सहित अन्य सड़कों पर सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं।

परिवहन विभाग के मुताबिक वर्ष 2020 में बांदा में सड़क हादसों की संख्या 382 थी। वर्ष 2020 मे 246 मौतें हुईं थीं। घायलों की संख्या 246 थी।

दुर्घटना, मौत और घायलों की संख्या में अगले वर्ष 2021 में 10-10 फीसदी कमी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यानी सड़क दुर्घटनाएं 344, मौत 176 और घायलों की संख्या का लक्ष्य 221 निर्धारित किया गया है।

चित्रकूटधाम मंडल के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी शंकरजी सिंह का कहना है कि शासनादेश के मुताबिक रोड सेफ्टी एक्शन प्लान तैयार करके ब्लैक स्पाट का सुधारीकरण किया जाता है।

इनमें बेहतर रोड इंजीनियरिंग, दुर्घटना पर रैपिड रिस्पांस, गोल्डन आवर में बेहतर ट्रामा केयर सुविधा, प्रभावी परिवर्तन कार्रवाई और जन जागरूकता के निर्देश हैं। पीडब्ल्यूडी, परिवहन और पुलिस विभाग इस दिशा में संयुक्त रूप से प्रयासरत हैं।

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