सबसे बड़ी भर्ती से लगी आस

उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में 47 विषयों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के 2003 पदों पर भर्ती से एक लाख युवाओं की आस लगी है। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने 26 मई से परीक्षा प्रस्तावित की थी। लेकिन अन्य परीक्षाओं की तरह इसे भी कोरोना के कारण टालना पड़ गया है।

आयोग ने साढ़े चार साल के बाद भर्ती शुरू की थी। 2014 में लिखित परीक्षा शुरू होने के बाद से यह पहला अवसर था जब इतनी बड़ी संख्या में पद विज्ञापित हुए थे। उससे पहले 1984 से 2014 तक सीधे साक्षात्कार के जरिए भर्ती होती थी। चयन को लेकर विवाद तमाम होने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और परीक्षा व्यवस्था लागू की गई।

कोरोना के कारण आयोग ने 11 मई को परीक्षा स्थगित कर दी थी। हालांकि दूसरी लहर के बाद स्थितियां सामान्य होने के बाद आयोग की गतिविधियां पर पटरी पर लौटने लगी है। अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा समेत सदस्य व स्टाफ आने लगा है। सूत्रों के अनुसार परीक्षा की तैयारियां शुरू हो गई है।

असिस्टेंट प्रोफेसर के 2003 पदों में से 150 महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के लिए 25 जबकि दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 61 पद आरक्षित हैं। हिन्दी के सर्वाधिक 162 पदों में से एक भी पद महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं है।

महिलाओं के लिए सर्वाधिक 25 पद भूगोल विषय में आरक्षित हैं। रसायन विज्ञान के 159 पदों में से 23 महिला, 6 दिव्यांग व 3 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित के लिए आरक्षित है। सह शिक्षा महाविद्यालयों में 1728 जबकि महिला महाविद्यालयों में 274 पद पर भर्ती होगी।

अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2003 पदों के अलावा बड़ी संख्या में अभी पद खाली है। उच्च शिक्षा निदेशालय को 31 दिसंबर 2019 तक 3920 रिक्त पदों की सूचना मिली थी जिस पर नियुक्ति की अनुमति शासन से मांगी गई।

ये पद 31 मार्च 2020 तक के थे। उसके बाद 31 दिसंबर 2020 तक और 520 रिक्त पदों की सूचना उच्च शिक्षा निदेशालय को प्राप्त हुई। ये पद 31 मार्च 2021 तक के हैं। लेकिन निदेशालय ने आयोग को 2002 पदों का ही अधियाचन भेजा था।

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