लखनऊ में अंतिम संस्कार के लिए दूसरे जिलों से मंगानी पड़ी रही लकड़ी

लखनऊ : कोरोना से हो रही मौतें और अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग अब समाप्त हो गई है। लकड़ी से अंतिम संस्कार शुरू होने से बहुत राहत मिली है। लेकिन लकड़ी की खपत बहुत बढ़ गई है। सीतापुर से आठ ट्रक लकड़ी मंगानी पड़ी है। रविवार को बैकुंठ धाम व गुलाला घाट पर कुल 142 शव पहुंचे। इसमें 118 शवों का अंतिम संस्कार लकड़ी से किया गया। इसमें भी 38 शव कोरोना संक्रमित थे।

बैकुंठ धाम पर रविवार को कुल 87 शव पहुंचे। इसमें 37 कोरोना संक्रमित और 50 गैर कोरोना संक्रमित थे। कोरोना संक्रमितों में दस का विद्युत शवहाह गृह पर अंतिम संस्कार किया गया। जबकि 27 शवों का अंतिम संस्कार लकड़ी से किया गया। इसके लिए बैंकुंठ धाम पर प्लेटफार्म आरक्षित कर दिए गए थे। इस व्यवस्था से यहां पर लग रही लाइन समाप्त हो गई। शाम छह बजे तक यहां पर कोई भी शव अंतिम संस्कार के लिए नहीं बचा था। उधर गुलाला घाटपर कुल 55 शवों में 25 कोरोना संक्रमित व 30 गैर कोरोना संक्रमित थे। कोरोना संक्रमित में 14 शवों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में और 11 का लकड़ी से किया गया। यहां भी अब वेटिंग समाप्त हो गई है। शवों की संख्या बढ़ने से लकड़ी का संकट शुरू हो गया। सामान्य तौर पर दो ट्रक लकड़ी की खपत होती थी। लेकिन अब पांच से छह ट्रक लकड़ीी लग रही है। लखनऊ में कहीं लकड़ी नहीं मिल पाई तो सीतापुर के सिधौली से लकड़ी मंगानी पड़ी। आठ ट्रक लकड़ी मंगाकर दोनों घाटों पर रखवा दिया गया है। इसके अलावा कान्हा उपवन का कंडा का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। रविवार को तीन हाइवा कंडा मंगाया गया। इसमें दो हाइवा कंडा बैकुंठ धाम व एक हाइवा कंडा गुलाला घाट पर रखवाया गया। कोरोना संक्रमित शवों को दाहसंस्कार का पूरा खर्चा नगर निगम उठा रहा है।

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