बंगाल-ओडिशा बॉर्डर पर नक्सलियों का पहाड़ पर कब्जा

छत्तीसगढ़ में बड़े हमले को अंजाम देने के बाद अब 400 नक्सली झारखंड में भी ऐसा हमला करने की फिराक में हैं। राज्य के कोल्हान डिवीजन में नक्सली ऐसी कोशिश कर रहे हैं।

इस डिवीजन में पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूह जैसे बड़े जिले आते हैं। इन जिलों में एक्टिव नक्सलियों ने चाईबासा की पुलिस को ब्लास्ट से उड़ाने का प्लान बनाया है। इन्होंने एक पहाड़ पर कब्जा जमा लिया है। ये जानकारी सामने आने के बाद अब 3 जिलों की पुलिस अलर्ट पर है।

खुफिया विभाग ने पुलिस मुख्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में नक्सलियों की एक्टिविटी के बारे में विस्तार से बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक चाईबासा के लांजी पहाड़ पर नक्सली तेजी से एक्टिव हो रहे हैं।

यहां 300 के आसपास नक्सली जमे हुए हैं। इसके अलावा पूर्वी सिंहभूम (गालूडीह-डुमरिया-घाटशिला) के जंगल के बीच बंगाल-उड़ीसा बॉर्डर पर दो दस्ते छुपे हैं। इनमें से एक आकाश उर्फ असीम मंडल तो दूसरा पटमदा के सचिन का दस्ता है। दोनों में 50 से ज्यादा नक्सली हैं।

इसके अलावा सरायकेला में 55-70 नक्सली जमे हैं। मुख्यालय ने कोल्हान डिवीजन के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां की पुलिस को अलर्ट जारी किया है।

थानेदारों को एहतियात बरतने का आदेश दिया गया है। गुड़ाबांधा के थानेदार PSI प्रणन ने बताया कि मुख्यालय से 2 दिन पहले कई आदेश मिले हैं। इसका सख्ती से पालन किया जा रहा है।

चाईबासा के लांजी पहाड़ पर 7-8 फरवरी को हई मुठभेड़ के बाद पुलिस का कब्जा माना जा रहा था। इसके ठीक 25 दिन बाद नक्सलियों ने झारखंड जगुआर के 3 जवानाें को रॉकेट लॉन्चर के जरिए शहीद कर दिया। इस तरह के जुगाड़ से बनाए गए राॅकेट लाॅन्चर का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ हमले में भी किया गया।

महाराज प्रमाणिक के अलावा एक कराेड़ के इनामी नक्सली नेता पतिराम माझी उर्फ अनल दा का भी अब लांजी पहाड़ पर कब्जा माना जा रहा है। इनके साथ 100 से ज्यादा नक्सली हैं।

बुधवार काे ही इस दस्ते ने लांजी पहाड़ तक सड़क बना रही ठेका कंपनी की 8 गाड़ियां फूंक दीं। घटना के 20 घंटे के बाद भी पुलिस गाड़ी देखने पहाड़ियों के नीचे नहीं पहुंची। घटनास्थल से आधा किमी दूर सैप (स्पेशल आर्म्ड पुलिस) के कैंप से भी 24 घंटे बाद तक कोई नहीं पहुंचा।

हालांकि, जिले के SP अजय लिंडा घटनास्थल तक पैदल पहुंचे। पुलिस मान रही है कि फाेर्स काे छत्तीसगढ़ की तर्ज पर निशाना बनाने के लिए नक्सली उन्हें ऐसी घटनाओं से पहाड़ी पर आने का निमंत्रण दे रहे हैं।

जबकि महीने भर तक पहाड़ी के आसपास तैनात 2000 से ज्यादा पुलिस हटा दी गई है। इधर, नक्सलियों की घटना से गांव के लोग बेफिक्र हैं। जिस रास्ते पर गाड़ियां जलाई गईं, उसी रास्ते से गुजरते ग्रामीणों ने कहा कि डर किससे और क्याें।

झारखंड पुलिस के मुताबिक, स्थानीय खुफिया इनपुट की मदद से नक्सलियों के खिलाफ अभियान की सफलता का प्रतिशत बढ़ गया है। नक्सलियों के कोड वर्ड और उनकी लोकल भाषा काे समझने की वजह से जवानाें काे काउंटर रणनीति में सफलता मिल रही है।

नक्सलियों द्वारा छुपाए गए डेटोनेटर और विस्फोटक भारी मात्रा में बरामद हुए हैं। पुलिस पर हमले के लिए नक्सलियों ने 250 आईईडी लगाए थे, जिन्हें विस्फोट से पहले ही निष्क्रिय कर दिया गया है।

पुलिस का दावा है कि लगातार चलाए जा रहे अभियान से नक्सलियों को जान बचाने के लिए नए ठिकानों की तलाश में इधर-उधर भागना पड़ रहा है।

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