दिखावे से मुक्त

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इंग्लैंड के इस प्रसिद्ध साहित्यकार-नाटककार का प्रारंभिक जीवन बहुत अभावों में बीता, परंतु प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचकर भी जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की पोशाक होती थी—फटे हुए मोजे, जूते, पायजामा में छेद और पैबंद, घिस-घिस कर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में काले रंग से भूरे रंग में तब्दील हुआ ओवरकोट।

एक बार जार्ज बर्नार्ड के एक परिचित ने उनसे पूछा, ‘आपने साहित्य को ही अपने करिअर के लिए क्यों चुना?’ जार्ज ने कहा, ‘साहित्य ही एक ऐसा सभ्य पेशा है, जिसकी अपनी कोई पोशाक नहीं है, इसीलिए मैंने इस पेशे को चुना है। लेखक को पाठक देखते नहीं है, इसलिए उसे अच्छी पोशाक की आवश्यकता ही नहीं होती।

डॉक्टर, वकील, व्यापारी अथवा कलाकार बनने के लिए अच्छे कपड़े पहनने पड़ते। अच्छे कपड़े पहनने से मैं असहज महसूस करता।’ परिचित ने फिर कहा, ‘अब तो आप अपने करिअर के शिखर पर हैं, आपको अपनी पोशाक पर तो ध्यान देना ही चाहिए।’ जॉर्ज बर्नार्ड ने कहा, ‘व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी प्रतिभा और आचरण से किया जाना चाहिए, पोशाक से नहीं।’

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