हमीरपुर : कोल समाज के किले का हो जीर्णोद्धार

बांदा। बुंदेलखंड के जनपदों में प्राचीन स्मारकों की लंबी फेहरिस्त है इनमें कुछ किले आदिवासियों के गौरव का प्रतीक बने हुए हैं ।

हालांकि यह किले आज में जमींदोज होने के कगार पर हैं परंतु इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि यह किले अपने समय में जरूर ही बुलंद रहे होंगे। इनकी नक्काशी एवं कलाकृतियां देखते ही दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं ।
उल्लेखनीय है कि जनपद चित्रकूट के ब्लाक मानिकपुर के मारकुंडी के दक्षिण में स्थित इतिहास का गवाह पर पराशिन कोल किला जीर्णशीर्ण अवस्था में सीना ताने खड़ा है और सरकार एवं समाज के समाज से साज सज्जा कराने की मांग कर रहा है।

यह किला आदिवासियों के लिए वास्तव में गौरव का स्थल है यह इस बात का प्रमाण है कि कोल समाज का भी कभी साम्राज्य था और कोल समाज के शासकों का भी यहां डेरा था हालांकि कुछ किताबों की मानें तो जबलपुर से मिर्जापुर बिहार के सिंहभूिम जिले तक फैले विस्तृत भू-भाग से आज भी वह स्थान किले भित्ति चित्र गवाह के रूप में सुरक्षित है जहां कोल आदिवासियों का साम्राज्य रहा है।

प्राचीन काल में कोल समाज का जिक्र उल्लिखित है यहां तक कि प्रभु श्री राम जब वनवास काल के दौरान चित्रकूट आए तब शबरी आश्रम आकर उनके दिए हुए बेर भी खाए जाने का उल्लेख रामायण में प्रासंगिक है।

क्योंकि शबरी कोल समाज की थी कोल समाज चित्रकूट जनपद के मानिकपुर और डिग्री पर आसीन मारकुंडी आदि क्षेत्रों में पुराने ढहे किलो कुआं खंडहरों और चित्रों से भरे पड़े हैं ।

इतिहास के तिलिस्म इच्छाशक्ति की कुंडी से ही खुला करते हैं। सरकार बुंदेलखंड की धरोहरों के देखभाल के लिए विशेष कदम उठाए और लखनऊ के बजाय झांसी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से बुंदेलखंड के सातों जिलों की प्राचीन धरोहरों की नवीनीकरण एवं उनका जीर्णोद्धार किया जाए अभी तक यह कार्य लखनऊ से होता था।

चित्रकूट जिले में स्थित पर आसीन कोल किला का भी निरीक्षण कर इसका जीर्णोद्धार आवश्यक है ताकि कोल आदिवासियों का गौरव सुरक्षित बना रहे।

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