RGF की जाँच पर कांग्रेस का पलटवार – इन संस्थाओं की भी हो जाँच

जानिए विवेकानंद और इंडिया फाउंडेशन के बारे में

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने गांधी-नेहरू परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित करते ही कांग्रेस का पारा चढ़ गया है। कांग्रेस ने सरकार के इस कदम को दुर्भावनापूर्ण साजिश करार दिया और मोदी सरकार को घेरने का भी प्रयास किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बौखलाई मोदी सरकार के कायरतापूर्ण कृत्यों और धमकाने वाली कोशिशों से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसका नेतृत्व डरने वाला नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व के प्रति भाजपा की कुत्सित मानसिकता व नफरत हर रोज भद्दे स्वरूप में सामने आ रही है।

सवाल यह है कि चीनी कम्पनियों द्वारा PM केयर्स फंड में दिए गए सैकड़ों करोड़ रुपए के चंदे की जांच क्या मोदी सरकार कराएगी ? साथ ही सुरजेवाला ने कहा कि क्या मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को विदेशी स्त्रोतों, इंसानों, संगठनों और सरकारों से मिले चंदे की जांच कराएगी ? इसके अतिरिक्त उन्होंने विवेकानंद फाउंडेशन, इंडिया फाउंडेशन को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि क्या इन ट्रस्टों की भी जांच कराई जाएगी ?

विवेकानंद फाउंडेशन

साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) नाम संस्था बेहद तेजी से चर्चा में आई। इतना ही नहीं इस संस्था से जुड़े कई महत्वपूर्ण लोग आज सरकार में शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वीआईएफ अजीत डोभाल के दिमाग की उपज है। जो इन दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। साल 2009 में अजित डोभाल ने इसकी स्थापना की थी।

अमृतानंदमयी और न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया ने वीआईएफ का उद्गाटन किया था। यह संस्था 1970 में आरएसएस के सरकार्यवाहक एकनाथ रानाडे द्वारा स्थापना की गई विवेकानंद केंद्र से संबधित है। जो कन्याकुमारी में स्थित है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वीआईएफ ने अपने मिशन के बारे में लिखा है कि यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है जो गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और गहन अध्ययन को बढ़ावा देने का काम करता है। इस संस्था का प्रयास है कि देश के सभी प्रभावशाली व्यक्तियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर गहन चर्चा के लिए एक मंच पर लाया जाए।

वीआईएफ भारत का एक थिंकटैंक है जो कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद केंद्र से जुड़ा हुआ है और यह नई दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित है।

इंडिया फाउंडेशन

इंडिया फाउंडेशन का अस्तित्व 2009 से है लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से यानी 2014 के बाद से इंडिया फाउंडेशन ने सुर्खिया बटोरना शुरू किया था। आज के समय में तो यह देश का सबसे प्रभावशाली थिंक-टैंक है। दरअसल, यह संस्था देश-विदेश के औद्योगिक जगत की प्रमुख हस्तियों को मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठाकर सरकारी नीतियों पर विस्तृत चर्चा के लिए एक मंच मुहैया कराने का काम करता है। दिलचस्प बात तो यह है कि इस संस्था केकार्यकारी निदेशक अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल हैं।

अब इन्हीं फाउंडेशन पर कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़ा कर रही है और कह रही है कि क्या केंद्र की मोदी सरकार इन संस्थाओं द्वारा विदेशी स्रोतों, व्यक्तियों, इकाइयों, संस्थानों एवं सरकारों सहित सभी स्रोतों से प्राप्त किए गए चंदे और धनराशि की जांच कराएगी ? वो भी ऐसी जांच जो राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट एवं इंदिरा गांधी मैमोरियल ट्रस्ट के सन्दर्भ में कराने के आदेश दिए हैं।

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