10 दिन में ही मिट गया अमर की दुल्हन का सिंदूर

29 जून को हुई थी अमर दुबे की शादी

भरुआ सुमेरपुर।  बुधवार को सुबह सुमेरपुर व मौदहा थाना क्षेत्रों के मध्य गांधी मार्ग में एसटीएफ व पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में विकास दुबे के दांंये हाथ अमर दुबे के मारे जाने से 10 दिन में ही सिंदूर भरने वाली दुल्हन का सिंदूर मिट गया। बिकरु गांव के निवासी विकास दुबे के परिवार में घटना के ठीक 4 दिन पूर्व शहनाई बज रही थी।

29 जून को उनके परिवार में एक नए सदस्य का आगमन हुआ था।  कल्याणपुर निवासी एक युवती को अमर दुबे की जीवनसंगिनी बनकर बिकरु आई थी। इसी बीच 2/3 जुलाई की रात बिकरु गांव गोलियों की तडतडाहट से गूंज उठा।  जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे।  इस घटना में विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे को भी नामजद किया गया था।

घटना के बाद से अमर अपनी दुल्हन का साथ छोड़कर फरार हो गया था. भागते भागते वह मौदहा थाना क्षेत्र के एक गांव में शरण लेने के लिए पहुंचा था।  मगर उसके दूर के रिश्तेदारों के शरण देने से मना करने पर वह मध्य प्रदेश जाने की जुगाड़ करने लगा।  जिसकी टोह एसटीएफ व पुलिस तक पहुंचने के बाद मुठभेड़ के दौरान सूर्य उगने से पहले ही उसको हमेशा के लिए अमर कर दिया गया।  जिससे 10 दिन पूर्व सुहागन बनी उसकी अर्द्धांगिनी के माथे का सिंदूर हमेशा के लिए मिट गया.

जिसके हाथों की मेहंदी का रंग अभी छूटा भी नहीं था।  सुहागन बनी एक बेकसूर युवती हमेशा के लिए विधवा हो गयी।  जबकि इस घटना से उसका कोई वास्ता भी नहीं था. वह इस परिवार के किसी सदस्य को ठीक से जान भी नहीं पाई थी। पति को भी ठीक से समझ नहीं सकी और एक हादसे का शिकार होकर जीवन भर के लिए माथे में एक कलंक लगाकर बैठ गयी।

संतोष चक्रवर्ती

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