कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का प्रेशर लो होने से आइसीयू के सभी वेंटीलेटर के बजने लगे अलार्म, पढ़े पूरी खबर

 हैलट अस्पताल के न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड-19 हॉस्पिटल में ठीकेदार की लापरवाही कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर भारी पड़ गई। कोविड हॉस्पिटल में रविवार देर रात ऑक्सीजन का प्रेशर लो होने से आइसीयू के सभी वेंटीलेटर के अलार्म बजने लगे, जिससे खलबली मच गई। जिससे कोविड हॉस्पिटल में कार्यरत जूनियर रेजीडेंट, पैरामेडिकल स्टॉफ और कर्मचारी घबरा गए। तत्काल प्राचार्य और प्रमुख अधीक्षक को सूचना दी। आनन-फानन अधिकारी पहुंचे और ऑक्सीजन की वैकल्पिक व्यवस्था कराई।

उधर, देहरादून स्थित लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) आपूर्तिकर्ता कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया। तब जाकर प्लांट का रखरखाव करने वाले ठीकेदार ने आकर प्रेशर बढय़ा। उसके बाद स्थिति सामान्य हो सकी। आधा घंटे तक आपाधापी की स्थिति रही और अधिकारी घबराए रहे। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। प्राचार्य ने प्रमुख अधीक्षक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।

रविवार रात बजने लगे थे वेंटीलेटर के अलार्म

रविवार रात न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड हॉस्पिटल और आइसीयू के बेड फुल थे। आइसीयू के 30 वेंटीलेटर पर भी मरीज थे। रविवार रात लगभग 10.55 बजे ऑक्सीजन का प्रेशर लो (कम) होने पर वेंटीलेटर के अलार्म बजने लगे। वहां मौजूद जेआर, नर्सिंग, पैरामेडिकल और कर्मचारी घबरा गए। उन्होंने तत्काल कोविड के नोडल डॉ. सौरभ अग्रवाल, डॉ. आनंद कुमार एवं एलएमओ के नोडल डॉ. अपूर्व अग्रवाल को सूचना दी। उन्होंने प्राचार्य और प्रमुख अधीक्षक जानकारी दी। आनन-फानन सभी अधिकारी वहां पहुंच गए। बिना समय गवाएं सिलेंडर मंगाकर मरीजों को ऑक्सीजन का इंतजाम कराया।

स्टॉक की लॉग बुक नहीं कर रहे थे मेंटेंन

प्रमुख अधीक्षक प्रो. गिरि ने प्लांट का रखरखाव करने वाले ठीकेदार अश्वनी त्रिपाठी को रात में ही बुला लिया। जब उन्होंने लॉग बुक चेक की तो वह मेंटेन नहीं थी। प्रथम दृष्टया ठीकेदार की लापरवाही प्रतीत हो रही है। उनसे कंपनी और उनके बीच का एमओयू के कागजात मांगे हैं। उसमें प्लांट मेंटिनेंस की शर्तों को भी देखेंगे।

यह है व्यवस्था

देहरादून की लिंडे कंपनी ने हैलट अस्पताल में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के तीन प्लांट लगे हैं। न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई एलएमओ प्लांट से होती है। कंपनी अपने स्तर से प्लांट का रखरखाव और ऑक्सीजन का बंदोबस्त करती है।

मेडिकल अफसरों ने कही ये बात

-न्यूरो साइंस सेंटर में लिंडे कंपनी ने 50 पोर्ट के हिसाब से ऑक्सीजन की आपूर्ति फिक्स कर रखी है। रात को न्यूरो साइंस के बेड फुल थे। उसमें से 80 फीसद मरीजों को ऑक्सीजन लगी थी। रात 10.55 बजे ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया। वेंटीलेटर को 100 फीसद प्रेशर चाहिए, जबकि 90-92 फीसद ही मिल रहा था। इसलिए वेंटीलेटर के अलार्म बजने लगे। बड़े सिलेंडर से वैकल्पिक इंतजाम कराया। साथ ही कंपनी को सूचित किया। उसके बाद ठीकेदार ने आकर ऑक्सीजन का प्रेशर बढ़ाया। सुबह ही कंपनी ने ऑक्सीजन का टैंकर भी भेज दिया। -प्रो. रिचा गिरि, प्रमुख अधीक्षक, हैलट अस्पताल।

-शासन ने कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने की घटना को गंभीरता से लिया है। इसमें लापरवाही की जांच के आदेश दिए हैं। हैलट की प्रमुख अधीक्षक प्रो. रिचा गिरि की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसके सदस्य डॉ. अपूर्व अग्रवाल, डॉ. सौरभ अग्रवाल, डॉ. आनंद कुमार एवं सीएमएस डॉ. शुभ्रांशु शुक्ला हैं। -प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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