पवन जल्लाद का परिवार पीढ़ियों से कर रहा ये काम, दादा ने भी आगरा जेल में इस कैदी को दी थी फांसी

Nirbhaya Case: निर्भया के दोषियों को दी जाने वाली फांसी की तारीख पर फिलहाल असमंजस की स्थिति है। उन्हें फांसी देने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन पूरी तरह से तैयार हो चुका है, वहीं दोषियों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद का नाम भी चल रहा है। बता दें कि पवन जल्लाद का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यही काम करता रहा है। गंभीर अपराधों में कोर्ट द्वारा फांसी दिए जाने के बाद उन्हें अंतिम अंजाम तक इस परिवार के सदस्यों ने पहुंचाया है। पवन जल्लाद के दादा कालू भी साल 1992 में आगरा जेल में दुष्कर्मी को फांसी दे चुके हैं।

उस वक्त जेल में सेवाएं दे रहे एसएस चौहान ने बताया 4 फरवरी 1992 को आगरा डिस्ट्रिक्ट जेल में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रहने वाले जुम्मन को मौत की सजा सुनाए जाने पर फांसी दी गई थी। उस रात को याद करते हुए चौहान कहते हैं ‘फांसी के दिन की पूर्व की रात में जुम्मन पूरी रात धार्मिक बातों को सुनता रहा जिसे जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया था। जेल प्रशासन को डर था कि फांसी के इंतजार में ही कहीं वह डर के मारे ना मर जाए। उसे सुबह 4 बजे फांसी दी गई थी।’

जु्म्मन को 22 जून 1983 को 8 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। जब बच्ची घर पर खेल रही थी उसी दौरान उसने उसे उठा लिया था और उसका दुष्कर्म कर हत्या कर दी थी। इस घटना के अगले दिन ही अलीगढ़ पुलिस ने जुम्मन को पकड़ लिया था।

चौहान बताते हैं कि उस वक्त जुम्मन को फांसी देने के लिए मेरठ से पवन के दादा कालू जल्लाद को बुलाया गया था। जब जुम्मन को फांसी की सजा की तारीख पता लगी थी तो वह रात भर जेल में रोया था और दीवार से सिर पटका था। इसके बाद उसे चौबीस घंटे गार्ड की निगरानी में रखा गया था।

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