खर्च बढ़ा, कोटा घटा, हज यात्री भी घटे

बांदा। हज का धार्मिक फरीजा (कर्तव्य) अदा करने वालों की तादाद में कमी आ रही है। इसके पीछे साल-दर-साल महंगा होता हज और ऑनलाइन समेत कई जटिल प्रक्रियाएं हैं। हाल-ए-हज यह है कि पिछले छह साल में हज यात्रा लगभग एक लाख रुपये महंगी हो गई है।

शायद इन्हीं सब अड़चनों का नतीजा है कि प्रदेश के हज यात्रियों का कोटा और आवेदन में गिरावट आई है। हज खर्च में बढ़ोत्तरी होने के चलते इस वर्ष चित्रकूटधाम मंडल से हज को जा रहे 208 हज यात्रियों को 63 लाख रुपये ज्यादा खर्च करना पड़ेंगे। पिछले वर्ष से इस वर्ष करीब 30 हजार रुपये बढ़े हैं।

इस्लाम में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को जीवन में कम से कम एक बार हज पर जाना फर्ज (अनिवार्य) है। करीब डेढ़ दशक से उत्तर प्रदेश में हज यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था। स्थिति यह हो गई थी कि निर्धारित कोटे से कई गुना ज्यादा आवेदन हो रहे थे।

इस कारण यूपी स्टेट हज कमेटी लाटरी से हज यात्रियों का चयन करती थी, लेकिन अब हालात बदले हैं। पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 से इस वर्ष 2020 तक हज यात्रा का खर्च लगभग एक लाख रुपया बढ़ गया है। पिछले वर्ष 2018-19 में हज यात्री को ग्रीन कैटेगरी में 2 लाख 60 हजार 100 रुपये और अजीजिया श्रेणी में 2 लाख 25 हजार 950 रुपये थे। इस वर्ष यह बढ़कर क्रमशः 2 लाख 90 हजार 850 और 2 लाख 53 हजार 800 रुपये हो गए हैं।

एक तरफ प्रदेश में हज यात्रियों का कोटा बढ़ा है तो दूसरी तरफ आवेदन घटे हैं। मौजूदा वर्ष में स्थिति यह है कि प्रदेश में करीब 32 हजार यात्रियों का कोटा है। जबकि आवेदन सिर्फ 28 हजार हुए हैं। मंडल के चारों जनपदों में 208 हज यात्रा के आवेदन हुए हैं। यह सब निर्धारित कोटे के अंदर हैं। लिहाजा सभी को हज का मौका मिलेगा।

सबसे ज्यादा 122 आवेदन बांदा से हुए हैं। हमीरपुर से 42, महोबा में 32 और चित्रकूट में 12 आवेदन हुए हैं। पिछले वर्ष से लगभग 30 हजार रुपये अधिक खर्च बढ़ जाने के चलते इन हज यात्रियों को करीब 63 लाख रुपये अधिक चुकाना पड़ेंगे।

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