कोरोना वायरस के डर से मुस्लिम परिवारों में बेटे-बेटीयों की निकाह की तारीखे टली

संक्रामक बीमारियां तो पहले भी फैल चुकी हैं। मौसम परिवर्तन होने के दौरान भी लोग बीमार हाते रहते हैं। वहीं ऐसा पहली बार हो रहा है कि चीन से फैले कोरोना वायरस ने शादी विवाह का ‘बैंडÓ भी बजा दिया है। रानी मंडी क्षेत्र के समदाबाद, दरियाबाद और करेली में मुस्लिम परिवारों में बेटे-बेटी की शादी की कोरोना वायरस के खौफ में तारीखें टाल दी गई हैं। इससे गेस्ट हाउस, हलवाई, वेटर, रोड लाइट, बैंड पार्टी के संचालकों व दिहाड़ी पर काम करने वाले कर्मचारियों की आजीविका पर भी संकट उत्पन्न हो गया  है।

मुस्लिम परिवारों में शादी-विवाह का दौर

इन दिनों मुस्लिम परिवारों में शादी-विवाह का दौर चल रहा है। इस्लामिक रस्मों के अनुसार लोग रमजान माह में बच्चों की शादी नहीं करते। इसके तीन माह बाद मोहर्रम शुरू हो जाएगा। शादियां मोहर्रम में भी नहीं होती। ऐसे में यही दो माह मार्च और अप्रैल (इस्लाम धर्म के अनुसार रजब व शाबान) में शादी का शगुन है। इन महीनों में धड़ाधड़ शादी की तारीखें निश्चित हुई हैं। हालांकि कोरोना वायरस ने इन आयोजनों पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया है। दरियाबाद के माशूक अहमद व करेली के रोशन अंसारी के बेटे की शादी अप्रैल के पहले हफ्ते में होनी थी वह टाल दी गई है।

टेंट हाउस के कर्मचारियों के समक्ष आर्थिक संकट

शादियों के टलने की जानकारी देते हुए संस्था उम्मुल बनीन सोसाइटी के महासचिव सैयद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि तमाम लोगों ने महीनों पहले से गेस्ट हाउस बुक करा रखे थे। हलवाई, बावर्ची, वेटर, बैंड बाजा, रोड लाइट आदि बुक हुए थे। शादियां टलने से इन सभी के कर्मचारियों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी शादियों के टलने की जानकारी मिल रही है।

चार माह आगे बढ़ाई शादी की तारीख

सैयद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि उनकी बहन दायराशाह अजमल निवासी हैं। वह खाड़ी देश शारजाह में एक स्कूल में शिक्षिका हैं। उनकी बेटी रजाह फात्मा की शादी लखनऊ में 28 मार्च को होनी थी। शारजाह की सरकार ने वहां से लोगों के भारत आने पर रोक लगा दी है, इसलिए शादी की तारीख टाल दी गई है। तारीख चार माह आगे बढ़ा दी गई है।

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