बिजली के बिल से लोगों को जानलेवा झटका

उत्तर प्रदेश मे सबकुछ ठीक है या सबकुछ ठीक नहीं है। सरकार की सुनें तो बेहतरी के बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं। किन्तु जनता के बीच से कराहने की आवाजें आ रही हैं। मामला बिजली विभाग का है, और इलेक्ट्रिक मीटर वाले बिजली बिल का है। जिससे जनता को एकाएक लाखों का बिल थमा दिया जाता है, कुछ एक ऐसे उदाहरण सामने आए कि जानकर जानलेवा झटका लगता है। वहीं बिजली बिल से परेशान होकर उपभोक्ता के आत्महत्या करने का प्रकरण भी सामने आया है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली विभाग में निजीकरण का भी द्वार खोला है। एक कंपनी मीटर रीडिंग का काम करती है, उसके निजी कर्मचारी उपभोक्ता के घर पहुंचते हैं। वहीं मीटर से रीडिंग लेकर उपभोक्ता को बिल दिया जाता है। किन्तु इस बिल के जमीनी हालात सरकार पर कुठाराघात साबित हो सकते हैं। शुरूआती दौर मे ही खूब सुनने मे आया कि बुंदेलखण्ड के गांवो में इकट्ठा पचीस-पचास हजार तक का बिल जनता को दिया गया। वहीं लाखों का बिल निकलने की बात भी सामने आई है। एकाध प्रकरण जनपद चित्रकूट के पहाड़ी कस्बे मे भी खुलकर सामने आए हैं। 

हाल ही में टीवी जर्नलिज्म से ग्रेटर नोएडा के सैदुल्लापुर गांव से एकमुश्त प्रकरण सामने आए , जिनमे से एक प्रकरण आम आदमी को चौका देगा और सरकार की किरकिरी भी करा देता है। महज तीस मिनट के अंतराल में 1253 रुपये का बिल 28,364 रुपये में तब्दील हो जाता है। जब उपभोक्ता इसकी मौखिक शिकायत करता है तो बिजली विभाग के अधिकारी – कर्मचारी द्वारा कहा जाता है कि बिल निकालने वाले को दे देना , संभवतः गड़बड़ी हुई है। 

किन्तु यह कितनी बड़ी चूक है। इलेक्ट्रिक मीटर से मशीन द्वारा बिल निकालने वाले निजी कर्मी आखिर किस तरह से बिल निकालते हैं कि वह वर्षों पहले की रीडिंग ले लेता है और जाने कब से कब तक का बिल निकाल दिया जाता है , जबकि उपभोक्ता पहले भी बिल भर चुका होता है। अब यही आईना है कि सिर्फ तीस मिनट में दो गुना ज्यादा बिल एक ही उपभोक्ता का उसी मीटर से थमा दिया जाता है। जिससे आम जनता परेशानी से घिरी हुई है। 

ऊर्जा मंत्री संभवतः इस समस्या की ओर सोच नहीं पा रहे हैं कि उनकी जनता बिजली बिल से अंदर ही अंदर कितनी परेशान है , जो दलालों की गिरफ्त मे भी है ! हाँ बिजली विभाग में दलाल प्रथा आज भी जिंदा है और इस    विभाग में सबसे अधिक दलाली हो रही है। 

पहले बढ़े हुए बिजली बिल तत्पश्चात कम कराने के लिए साठगांठ होती है , ऐसी साठगांठ दलाल के माध्यम से ही होती है। जो उपभोक्ता से सौदा कर एक उचित दर में कम से कम बिजली बिल भरे जाने का भरोसा उपभोक्ता को दिलाता है। परेशान जनता कुछ पैसे मे सौदा कर दलाल से साठगांठ कर लेती है। इनमे अधिकतम दलाल संविदा कर्मी हैं , जो लाइनमैन होते हैं। या फिर ऐसे लोग जो बड़े अधिकारी के विश्वास पात्र और चहेते हैं। इन दलालों के चंगुल में कथित सुशासन का स्वाद भोग रही जनता है। 

खैर सरकार जमीन हकीकत से बेखबर नजर आ रही है अथवा बाखबर होने के बाद भी अनसुना कर रही है परंतु गांव , कस्बा की हकीकत यही है कि बिजली विभाग की दलाली से आम जनता परेशान है और अवैध बिजली बिल जानलेवा झटका भी दे रहे हैं। बिजली बिल की वजह से जनता मानसिक रूप से परेशान है। सरकार यदि जनता का भला चाहती है तो इसकी जांच कराकर जिम्मेदार कंपनी और कर्मियों को दंडित करना चाहिए। शीघ्रता से जनता को मानसिक शांति प्रदान करना सरकार कक जिम्मेदारी है। 

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